प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 06)
"ये तो बिल्कुल वैसा ही ट्रक लग रहा है जैसा इन सारी घटनाओं में लिप्त पाया गया है। इसकी रफ्तार भी बहुत अधिक तेज है, इसलिए ठीक से देख नहीं पाया पर मुझे इसकी जाँच करनी ही होगी।" अनि ने अपने दूसरे जेब से एक एंड्रॉइड फ़ोन निकालकर गौर से देखते हुए बोला। यह उसका वह फ़ोन बिल्कुल नहीं था जिसे वो तब से यूज़ कर रहा था। ये फ़ोन बिल्कुल अलग था, गहरे काले रंग का, स्क्रीन पर डिट्टो उसी ट्रक की इमेज उभरी हुई थी और साथ में कुछ लिखा हुआ था।
कुछ ही पल बाद अनि को ध्यान आया कि उसे अपने शक के पुष्टि हेतु उस ट्रक को पकड़ना होगा तो वह हड़बड़ाकर एक ओर भागा। पर दौड़कर कोई ट्रक थोड़े न पकड़ सकता था, तभी उसे सामने से एक मोटरसाइकिल आती हुई दिखाई दी, तभी उसने अप्रत्याशित हरकत कर दी, वह और तेज भागने लगा, मोटरसाइकिल बहुत अधिक तेज नहीं थी। मोटरसाइकिल चालक ने उसे देखकर पूरी ताकत से दोनों ब्रेक कस दिए, मोटरसाइकिल वहीं रुक गयी, अगर एक सेकंड और देर हो जाती तो अनि उस मोटरसाइकिल से टकरा जाता, जिससे चोट तो नहीं ही आती, पर मामूली चोटें तो निश्चित थीं। अनि ने भी अपनी स्पीड कंट्रोल करने की कोशिश की मगर रुकने के चक्कर में वह लुढ़कता गया और ठीक आगे के पहिये से सटकर रुका।
"पागल हो क्या तुम, बीच सड़क पर बिन देखे अंधों की तरह दौड़ रहें हो, अभी एक्सीडेंट हो जाता तो?" मोटरसाइकिल चालक, मोटरसाइकिल से उतरकर स्टैंड लगाते हुए गुस्से से बोला।
"अब चाहे पागल कह लो या अंधा भैया पर अगर वो नही मिली तो मैं मर जाऊंगा!" अनि लगभग रोते हुए बोला, उसकी आँखों से नीर झरझर कर बह रहे थे।
"क्या हुआ?" उस व्यक्ति को अनि की हालत पर तरस आयी।
"अभी यहां से एक ट्रक गुजरा होगा! आपने देखा होगा भैया? उधर ही गुजरा था।" अनि ने रोते हुए स्वर में पूछा।
"हाँ तो? क्या वह ट्रक तुम्हारा था? देखकर तो ऐसा नही लगता।" वह व्यक्ति उसकी दशा देखते हुए बोला।
"नही भैया! वो ट्रक मेरा नही था। ..." अनि अब और जोर से रोने लगा।
"तो…!"
"उस ट्रक में मेरी जिंदगी मेरी जान, मेरी साँसों की अरमान, मेरी दुनिया जहान मेरी…." कहते हुए अनि फूट-फूटकर रो पड़ा। "वे लोग उसे उठाकर ले गए, मुझे उसको बचाना है। आज ही तो मिली थी, आज ही मुझसे दूर हो गयी।"
"पर तुम मुझसे क्या चाहते हो?" उस मोटरसाइकिल चालक ने पूछा।
"मुझे उसको बचाना है पर मेरे पास कोई भी साधन नही है, क्या आप मेरी हेल्प करेंगे? प्लीज!!" अनि आस भरी निगाहों से उसकी ओर देखते हुए गिड़गिड़ाकर बोला। वह समझ गया कि अनि का इशारा उसकी मोटरसाइकिल की ओर है, पर अब तक वह बहुत इमोशनल हो चुका था, वह इनकार करना चाहता था पर कर न सका। न चाहते हुए भी उसने अनि के हाथों में मोटरसाइकिल की चाभी रख दी।
"आप अपना नम्बर दीजिये ताकि मैं यह आपको रिटर्न कर सकूं!" अनि ने दूसरा हाथ फैलाते हुए कहा। वह व्यक्ति दोराहे पर फंसा हुआ था, वह अभी भी चाहता था कि चाभी छीनकर वह अपने रस्ते निकल जाए परन्तु वह ऐसा कर न सका। वह असमंजस की स्थिति में फंसा हुआ अंदर ही अंदर स्वयं को बहुत बेबस महसूस कर रहा था।
अब तक अनि उसकी मोटरसाइकिल लेकर ट्रक जाने की दिशा में दौड़ा दिया। अब तक वह अपने पांच मिनट नष्ट कर चुका था, मतलब ट्रक अब उससे कम से कम छः मिनट की दुरी पर होगा, अनि के हाथ एक्सीलेटर पर कसते गए, स्पीडोमीटर का कांटा 125 KM/H के आसपास नजर आने लगा।
◆◆◆
पहाड़ियों के ऊँची-नीची आड़ी-टेड़ी सर्पिली सड़क पर करीबन तीन मिनट चलने के बाद उसे ट्रक नजर आने लगा, वह सरपट दौड़ा चला जा रहा था। सड़क के एक ओर पहाड़ था दूसरी ओर गहरी घाटी, ट्रक सीधे घाटी की ओर बढ़ चला। चारों तरफ खूब ऊँचे मोटे पेड़ नजर आ रहे थे, पहाड़ी की घुमावदार सड़क से ट्रक दिखना बंद हो गया। उसके सामने तिराहा था, एक कच्चा रास्ता घने जंगल की ओर जा रहा था, अनि को शक हुआ कि वह इसी ओर गया होगा पर कच्ची सड़क पर ट्रक के पहियों के कोई निशान न थे। उसने बाइक रोकी, और खूब लम्बी सांस लेकर दूसरी सड़क पर बढ़ता चला गया। ट्रक अब फिर दिखने लगा था, अब तक वह पहाड़ की तराई में पहुंच चुका था, और शायद उन लोगों को शक भी हो चुका था कि कोई उनका पीछा कर रहा है।
ट्रक थोड़ी दूर जाकर रुक गया, उसमें से एक पहलवान जैसा शख्स बाहर आया, उसके हाथों में मोटा रॉड जैसा कुछ था। अनि यह देखकर ठिठक गया और ट्रक से कुछ दूर पहले ही रुक गया। उस व्यक्ति ने ट्रक ड्राइवर को चलने का इशारा किया, वैसे भी ट्रक अभी बंद नही हुआ था। जैसे ही ट्रक आगे बढ़ा अनि ने फिर से उसका पीछा करना शुरू कर दिया। उस मुस्टंडे को देखकर अनि का शक, एक हद तक यकीन में बदल चुका था।
"ये फिर शुरू हो गया!" ड्राइवर ने अपने साथियों से कहा।
"इसको इधर ही ठोक डालते हैं, साले की लाश भी नसीब न होगी किसी को!" वह पहलवाल जो नीचे उतरा था उसने कहा।
"दिमाग से काम ले अकरम! हमें ऐसा कोई सबूत नही छोड़ना जिससे पुलिस हमारे पीछे लग जाये, तुझे पता है न कितनी मुश्किल से यहां तक पहुंचे हैं अपन!" ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठे दूसरे व्यक्ति से ने कहा, दिखने में यह भी किसी पहलवान से कम न था। दोनों मजबूत कद-काठी के थे, अकरम के चेहरे पर एक खरोंच का निशान था जो काला पड़ चुका था। तीनों के तीनों मुस्टंडे नजर आ रहे थे।
"रहमान भाई का कहना सही है। सुना है उधर एक सनकी पुलिसिया आया हुआ है!" ड्राइवर ने दूसरे मुस्टंडे की बात का समर्थन करते हुए कहा।
"फिजूल की बातें न करो बेवकूफों, ये कोई पुलिसिया नहीं है। सीधा ठोक डालो और गर्त में फेंक दें!" अकरम गुस्से से बबूला होता हुआ बोला।
"इसको कहते हैं, ठोक दे और गड्ढे में डाल! चल भाई तेरी ही ख्वाहिश पूरी कर लेते हैं।" रहमान ने हँसते हुए कहा। "कमर, जरा ट्रक रोक!" उसने ड्राइवर से कहा। अगले ही क्षण ट्रक की गति मन्द होने होने लगी, कुछ दूर जाते ही वह रुक गया।
"याद रखना वह किसी भी हाल में जिंदा न बचने पाए! क्योंकि ये अगर बच गया तो बॉस हममें से किसी को जिंदा नही छोड़ेगा।" ड्राइवर नें उन दोनों को याद दिलाने के लिए कहा। ट्रक रुकता देख अनि ने भी अपनी बाइक रोक ली, वह ट्रक के ठीक पीछे के मोड़ पर खड़ा था।
"तू कौन है बे साले?" चिल्लाते हुए अकरम ने उसपर रॉड से वार किया। अनि फुर्ती से उछलते हुए दो कदम पीछे चला गया।
"अरे भैया! पाये लागों। ये क्या कर रहे हो आप लोग?" अनि ने मासूमियत से कहा, दोनों के दोनों उसकी बात सुनकर झेंप गए और एक दूसरे की ओर ताकने लगे।
"तेरी प्रॉब्लम क्या है बे? तब हमारे पीछे क्यों पड़ा हुआ है?" रहमान ने उसपर पिस्तौल तानते हुए कहा।
"अब बोल हीरो! कैसे मरना पसन्द करेगा? या फिर फटाफट अपने बारे में बोलता जा!" अकरम ने उसकी छाती पर बायीं ओर रॉड का नुकीला भाग रखकर दबाते हुए कहा, अनि की चीख निकल वातावरण में गूंज गयी।
"क्या बताऊँ भैया! बहुत ही बदनसीब हूँ मैं, क्या करोगे आप मेरे बारे में जानकर मेरी तो किस्मत ही टूटी-फूटी हुई है, कल पांच रूपिया का फेवीक्विक ला के चिपकाया फिर भी न चिपकी। आप ही बताओ क्या करूँ भैया!" अनि ने मासूम सा चेहरा बनाकर गिड़गिड़ाते हुए कहा।
"बकवास बन्द कर साले! पूरा रॉड तेरी छाती में घुसेड़ दूंगा!" अकरम गुस्से से चिल्लाया।
"ऐसे कैसे घुसेड़ दोगे बाप का माल है क्या?" अनि ने रॉड पकड़कर पीछे धकेलते हुए कहा।
"हिलने की कोशिश मत करना बच्चे वरना जान से हाथ धो बैठोगे!" रहमान ने धमकी भरे लहजे में कहा।
"यहां कमबख्त हिलना कौन चाहता है!" अनि मुस्काया। "मेरा प्लान तो हिलाने का है।" अनि एक पैर को मोड़कर बैठे बैठे एक राउंड घुमा, रहमान इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार न था उसके हाथों से पिस्तौल छिड़ककर दूसरी ओर झाड़ियों में जा गिरी।
पर इससे अनि का ध्यान अकरम की ओर से हट गया था, अकरम के रॉड के शक्तिशाली प्रहार ने उसे जमीन पर ला पटका। उसके कंधे से लहू की धार बहने लगी, फिर भी अकरम को भी दूसरा वार करने का मौका न मिला, अनि बड़ी फुर्ती से उछलते हुए उठा, उसने अकरम के रॉड को रोकते हुए उसके थोबड़े पर जोरदार घूसा मारा, अकरम का जबड़ा बुरी हिल गया पर इससे रहमान को मौका मिल गया था, उसकी जोरदार लात खाकर अनि जमीन चाट गया, उसका शर्ट और पैंट कई जगहों से फट गया, उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान आ गए थे।
अनि बड़ी फुर्ती से उठा, दोनों का वार खाली गया, उठते ही सर्वप्रथम उसने अपने आप को झाड़ा, उनकी आंखों में एक विचित्र सी मुस्कान थिरकने लगी। रहमान उछलते हुए उसपर जोरदार लात जमाने वाला था पर अनि एक ओर सरक गया वह धड़ाम से जमीन पर जा गिरा। भन्नाया हुआ अकरम मदमस्त हाथी की तरह उसे टक्कर मारने बढ़ा। अनि हल्के से एक साइड हुआ और उसकी गर्दन को दाएं हाथ में फंसा लिया। अकरम अनि के कुहनी की शक्तिशाली कैद में बुरी तरह छटपटा रहा था, उसने बाये पैर से रहमान की पीठ को कुचला हुआ था, वह भी अपनी पूरी ताकत लगाकर उठने की कोशिश कर रहा था। मगर उन दोनों की कोशिशें नाकाम! अनि को कम आंक कर उन्होंने बहुत बड़ी भूल की थी। दोनों के चेहरे लहूलुहान नजर आ रहे थे, काफी देर तक छटपटाने के बाद दोनों शांत पड़ चुके थे। ड्राइवर की जब इधर नजर पड़ी तो वह जैसे नींद से जागा। वह ट्रक स्टार्ट किया और बैक गियर लगाकर इनकी ओर बढ़ने लगा।
"बोल साले! कौन हो तुम लोग? ये मौत का सामान लेकर कहाँ जा रहे हो? क्या चाहते हो तबाही फैलाकर?" अनि का लहू से नहाया हुआ चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था, इसके साथ ही उसकी पकड़ भी मजबूत होती जा रही थी। दोनों ने अपने जबड़े भींच लिए जैसे कुछ भी न बोलने की कसम खा लिए हों। उनके चेहरे पर जमाने का दर्द था मगर आँखों में एक विचित्र सी मुस्कान थी जो अनि के गुस्से की आग में घी डाल रहा था। तभी अनि को ट्रक की आवाज सुनाई दी, उसने देखा ट्रक बड़ी तेजी से उनकी कर बढ़ा चला आ रहा था, उसने दोनों को जमीन पर पटका और वह नुकीला रॉड लेकर ट्रक की ओर दौड़ा, जैसे ही ट्रक उसके पास आया वह सड़क से चिपक गया। ढलान के कारण ट्रक तेजी से गुजर गया, उसके पीछे कुछ ही दूर गहरी खाई थीं, अनि ने सड़क पर लेटे-लेटे ही पूरी ताकत से नुकीले रॉड को भाले की भांति फेंका, रॉड का नुकीला सिरा ट्रक के मजबूत कांच को तोड़ते हुए ड्राइवर के सिर में घुस गया। ड्राइवर के मरते ही ट्रक अनियंत्रित हो गया, उन दोनों को कुचलते हुए वह घाटी में जा गिरा, गिरने के साथ ही जोर का धमाका हुआ, ट्रक का फ्यूल टैंक फट चुका था, नीचे टकराते ही आग ही लपटों ने ट्रक को घेर लिया।
ट्रक से कुचलने के बाद दोनों के शरीर पिचक गए थे, कई सारी हड्डियों का चूरमा बन गया रहा होगा पर गनीमत थी कि सड़क पर अधिक खून नही बहा था। अनि मुस्कुराते हुए बड़े आराम से दोनों के एक एक हाथ को पकड़कर खींचते हुए उस जलते हुए ट्रक पर फेंक आया। उसने झाड़ियों में से बंदूक ढूंढी और उसे भी उस जलते हुए ट्रक पर फेंक दिया। तभी ट्रक में जोरदार धमाका हुआ, अनि अपनी बाइक की ओर भागा।
"साला टाइम बर्बाद! ये लोग तो गजब ढीठ निकले, कोई कुछ बताता ही नही!" अनि ने सड़क किनारे पड़े पत्थर को जोर से ठोकर मारी।
"मिशन एकॉम्पलीसड सर! मगर किसी ने अपनी जुबान नही खोली! बहुत ढीठ थे साले।" अनि ने अपना वही ब्लैक एंड्रॉयड निकालते हुए रिपोर्ट देने के अंदाज में कहा।
"ये बस साइड मिशन था अनि! देहरादून में कई घटनाएं एक साथ घट रही हैं। वहां एक सनकी इंस्पेक्टर भी आया हुआ है, तुम्हें संभलकर काम करना होगा। याद रखना अगर पकड़े या मारे गए तो मेरी कोई जिम्मेदारी नही होगी।" उधर से भर्राया हुआ स्वर उभरा।
"हाँ! हाँ! मैं जानता हूँ सर! हर बार एक ही बात तो याद दिलाई जाती है। मुझे केवल मिशन की अपडेट चाहिए!" अनि ने सपाट लहजे में कहा।
"ये जो कोई भी है बहुत बड़ा गेम खेल रहा है अनि! तुम्हें सम्भलकर रहना होगा।"
"यस सर! मैंने सारे सुबूत मिटा दिए हैं। यह ट्रक पूरी तरह से एक्सप्लोसिव से भरा हुआ था, मगर इस रास्ते में काफी दूर पहाड़ियों के अलावा और कुछ नही पड़ता। कोई इस रास्ते से एक्सप्लोसिव भरा ट्रक कहाँ ले जाना चाहेगा?"
"ये लोग देहरादून में बच्चे भी किडनैप कर रहे हैं! तुम्हें सभी केसेस के तार एक में जोड़कर सुलझाना होगा, नेक्स्ट मिशन की अपडेट तुम्हें दे दी जाएगी। यू हैवे टू गो बैक राइट नाउ! ध्यान रहे किसी को तुमपर शक न हो।" कहने के साथ उसने सम्बन्ध विच्छेद कर दिया।
"ये चीफ भी न!" झल्लाते हुए अनि मोटरसाइकिल की ओर बढ़ा, जो वही मोड़ पर खड़ीं थी। इस वक़्त वह अपने फ़ोन में व्हाट्सएप चेक कर रहा था।
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"ये क्या हालत बना रखी है तुमने?" अनि के शरीर पर कई जगह पर बैंडेज और कटे-फ़टे कपड़े देखकर पियूषा गुस्से से बोली।
"क्या करूँ यार गलती हो गयी!" अनि ने मासूमियत से कहा।
"गलती? तुम हमेशा यही तो करते हो!" अनि ने डाँटते हुए कहा। "खुद का रत्तीभर भी ख्याल नहीं है, मैं अभी कॉल करती हूँ अंकल जी को।" उसने जेब से अपना फ़ोन निकालते हुए कहा।
"रुको पहले मेरी बात सुन लो!" अनि गिड़गिड़ाते हुए बोला
"हाँ! बको।" उसे इस हाल में देखकर पियूषा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था।
"अंदर तो आने दो मिस प्याऊ जी, बहुत प्यास लगी है।" पियूषा अंदर से एक बिसलेरी की बोतल ले आयी।
"हाँ तो हुआ ये कि..!"
"क्या?" पियूषा ने गुस्से से कहा।
"हमें इश्क़ हो गया था!" अनि ने मुँह फुलाते हुए कहा।
"अच्छा जी?" पियूषा ने अनि को ऐसे देखा जैसे आठवां अजूबा देख रही हो।
"अरे तुम्हें याद है जहां मैंने टैक्सी रूकवाई थी?" अनि ने उसे याद दिलाते हुए कहा। "वहां मुझे एक बला की खुशबूरत लकड़ी दिखाई दी, ऐसे लग रहा था जैसे चाँदनी ने खुद आकर उसमें चाँद पोत दिया हो। कमाल की एसिडिक लकड़ी थी, मुझ जैसे क्षारीय लकड़े पर भी उसका जादू चल गया, उससे मिलते ही मैं तो न्यूट्रल हो गया, दिल में इश्क़ के अरमान जागने लगे!"
"अच्छा!" पियूषा बड़े ध्यान से उसकी कहानी सुन रही थी।
"मैंने आव न देखा न ताव जाकर बोल दिया गोरी आना मेरे गांव! घूमने चलेंगे समुंदर, तू किनारा मैं नाव!!
वो लकड़ी तो बिलकुल मेरे ऊपर लट्टू हो गयी थी, हम दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गए थे। हमारी नई नई प्रेम कहानी बस शुरू ही होने वाली थी कि वो आ गए..!"
"वो कौन?" पीयू ने आश्चर्य से पूछा।
"अरे वही! वो कमबख्त प्यार के दुश्मन! मुझे किसी ने बताया नही था कि उसके सात पहलवान जैसे भाई हैं नहीं तो भला मैं उसको हाथ क्यों लगाता!"
"फिर क्या हुआ?"
"होना क्या था? ये क्यों फ़िल्म थोड़े थी कि हीरो-हीरोइन जन्म जन्म के साथी बने रहते!! उसके भाइयों के आते ही वो एकदम से बदल गयी, सावन से पतझड़ में ढल गई, उसके इश्क़ का बुखार उतर गया पर उसके भाइयों ने मुझे धो डाला और ... आह…ह!" अनि ने कमर पकड़कर चीखते हुए कहा।
"और कोई काम नही था?" पियूषा गुस्से से लाल-पीली होती हुई बोली।
"सही कहा तुमने! उसके माँ-बाप को और कोई काम नही था, ऐसे क्रिकेट की टीम पैदा करने की क्या जरूरत थी। लाज-लिहाज बचा ही नही है यार आज के जमाने में! उन सात पहलवानों के रहते उस बिचारी की ज़िंदगी कभी संवर नही पाएगी।" अनि ने दर्द से कराहते हुए कहा।
"मैं उन्हें नही तुम्हें कह रही हूँ उल्लू।" पियूषा ने उसे धीरे से चपत लगाई। "ये दूध पीकर सो जाओ, दुबारा ये सब नौटंकी किये तो अंकल जी से बोल दूंगी कि तेरी शादी करा दें!" पियूषा उसे दवा और दूध देते हुए मुँह बनाकर बोली।
'यार हमेशा एक ही धमकी!' अनि ने मन ही मन कहा और पियूषा की मासूमियत से उसकी चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
"ये लड़का कभी न सुधरेगा, और हाँ कपड़े बदल लेना वरना भिखारियों की लाइन में बिठा दूंगी तुझे, मैं जा रही हूँ अपने रूम में!" पियूषा ने बाहर जाते हुए कहा।
" ठीक है! भीख में मिले पैसों से तुझे शॉपिंग कराऊंगा चल। हाहाहा…!" अनि ने बेशर्मों की तरह हँसते हुए कहा। पियूषा खिसियाकर हँसते हुवे वहां से चली गयी।
क्रमशः...
Rohan Nanda
15-Dec-2021 09:21 PM
उफ्फ ये अनी और उसके कारनामे, आप तो बधाई के पात्र है सर ऐसे विचित्र आइडिया आपके दिमाग में आते और उन्हें अपने शब्दो से राइटिंग में डालते...👏
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Arman Ansari
11-Dec-2021 10:41 AM
Wah bhai kya kahani h kl se hi mene padni shuru ki h mujhe behad pasnd ai
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🤫
10-Dec-2021 06:48 PM
बेहतरीन ... अनि का एक्शन जबरदस्त, उसके साथ उसकी नौटंकी, हंसते हंसते पेट दर्द होने लगा। कहां से आते ऐसे आइडिया आपको एम जे... ये बताए...हर भाग में रोचकता के साथ हास्य भी जबरजस्त संयोजन ...
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